
राम रहीम की कस्टडी मांगने पर पंजाब सरकार को खानी पड़ी मुँह की
पंजाब ( पंजाब 365 न्यूज़ ) : PM मोदी को सुरक्षा देने के मामले में चुकी पंजाब की कांग्रेस सरकार अब सभी के घेरे में बनी ही है। देश के प्रधानमंत्री की सुरक्षा की चूक में अभी चन्नी सरकार निशाने पर है। इसी बीच पंजाब सरकार को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। अब पंजाब सरकार एक ओर चुनावी दांव खेलना चाहती है। वो राम रहीम की कस्टडी मांग रही है। पंजाब की कांग्रेस सरकार की डेरा प्रमुख को लाने के पीछे की मंशा बेअदबी केस के साथ चुनावी माहौल बनाने की भी है। बेअदबी केस में अभी तक सरकार कोई कार्रवाई नहीं कर सकी है। सिर्फ जांच की ही खानापूर्ति चल रही है। अगर डेरा मुखी को पंजाब ले आते तो सरकार इसे मुद्दा बनाकर भुना सकती है ताकि सिखों की भावनाओं को भुनाया जा सके। ऐसा ड्रग्स केस के मामले में भी कांग्रेस सरकार और पार्टी कर रही है कि हमने अकाली नेता बिक्रम मजीठिया पर केस दर्ज कर बहुत बड़ा कदम उठाया है।
पंजाब सरकार राम रहीम को प्रोडक्शन वारंट पर पंजाब लाना चाहती थी। मगर हाईकोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि हाल की घटनाओं को देखकर यह अनुमति नहीं दी जा सकती है। हाईकोर्ट ने पंजाब की एसआईटी को रोहतक की सुनारिया जेल में जाकर पूछताछ करने का आदेश दिया। HC में डेरा सच्चा सौदा प्रमुख राम रहीम को पंजाब लाने के प्रोडक्शन वारंट पर सुनवाई थी। सरकारी वकील ने कहा कि राम रहीम को हवाई मार्ग से पंजाब लाएंगे। इस पर HC ने टिप्पणी की कि पीएम के दौरे में जो हुआ, उसे पंजाब सरकार संभाल नहीं पाई। ऐसे में अगर डेरा प्रमुख राम रहीम को लाया गया तो फिर हालात कैसे संभलेंगे।
सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कहा कि राम रहीम कोई वीआईपी है, जिसे हवाई मार्ग से लाएंगे। क्या वह प्रधानमंत्री से भी ऊपर है? जस्टिस अरविंद सांगवान के समक्ष सरकार के वकील ने कहा कि डेरा प्रमुख का प्रोडक्शन वारंट पर रोक रद्द की जाए। राम रहीम को हेलिकॉप्टर से पंजाब लाया जाएगा। सुरक्षा में 35 हजार पुलिसकर्मी तैनात रहेंगे। हालांकि HC इससे सहमत नहीं हुई और प्रोडक्शन वारंट पर लगी रोक नहीं हटाई। मामले की अगली सुनवाई अब 21 अप्रैल को होगी।
आपको बता दे की बेअदबी मामले में डेरा सच्चा सौदा प्रमुख राम रहीम को प्रोडक्शन वारंट पर पंजाब लाने की पंजाब सरकार की कोई भी दलील काम नहीं आई। पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा कि पंजाब में चुनाव सिर पर हैं, पिछले दिनों जो घटनाएं हुई है, उन्हें देखते हुए डेरामुखी राम रहीम को पंजाब लाना सही नहीं होगा।
फरीदकोट की अदालत द्वारा जारी प्रोडक्शन वारंट के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कहा कि 2017 में राम रहीम को जब दोषी करार दिया गया था तो पंचकूला में भारी हिंसा हुई थी। इस दौरान सुरक्षा पर सरकार ने करोड़ों रुपये खर्च किए थे। हिंसा में सैकड़ों करोड़ की सरकारी व गैर सरकारी संपत्ति का नुकसान हुआ था।
अब ये तो सोचने की बात है जो देश के प्रधानमंत्री को सुरक्षा प्रदान कर नहीं कर सकते वो आम जनता को क्या सुरक्षा प्रदान करेंगे।
आप चाहे किस भी पार्टी से हो लेकिन देश का प्रधानमंत्री की सुरक्षा जिस राज्य में गए है उसी के कंधों पर होती है। इसलिए चन्नी सरकार को इसमें सहयोग करना चाहिए था। लेकिन बहानेबाज़ी नहीं करनी चाइये थी।