Discord between Akali Dal and BSP

सीटों को लेकर अकाली दल और बसपा में मनमुटाब

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पंजाब (पंजाब 365 न्यूज़ ) : अभी दो दिन ही हुए है अकाली और बसपा का गठबंधन हुए अभी से दोनों पार्टियों में सीटों को लेकर मनमुटाव शुरू हो गया है। बसपा का कहना है की अकाली दल से गठजोड़ के तहत आधार वाली सीटें छोड़ने से बसपा कार्यकर्ताओं में नाराजगी है। इंटरनेट मीडिया पर कार्यकर्ताओं का गुस्सा दिखने लगा है, ऐसे में पार्टी फैसले के खिलाफ छोटे गुटों में कई मीटिग होने की खबर भी आ रही है। बसपा कार्यकर्ता सीटों के बंटवारें को लेकर आरोप लगा रहे हैं कि दलितों के हक अकाली दल को बेचे गए और बसपा के प्रदेश नेतृत्व ने हाईकमान को गुमराह किया।
कोई आज़ाद खड़ा हुआ तो नुक्सान उनको ही होगा :
पंजाब विधानसभा चुनाव के लिए गठबंधन में अकाली दल के राजनीतिक दांव बहुजन समाज पार्टी (BSP) पर भारी पड़ा है। जिन सीटों पर पिछले लोकसभा चुनाव में बसपा को सबसे ज्यादा वोट मिले थे, वो गठबंधन के बाद उनके खाते में नहीं गई। इसको लेकर बसपा के भीतर ही अकालियों की चालाकी से बगावत के आसार बन गए हैं। इसकी शुरुआत फिल्लौर से हो चुकी है। यहां रविवार को इकट्‌ठा हुए बसपा समर्थकों ने विरोध जताया कि फिल्लौर व आदमपुर सीट बसपा को मिलनी चाहिए थी। जिसके बाद नेताओं ने कहा कि इस बारे में पार्टी हाईकमान से बात करेंगे। यह चिंता अब अकाली दल को भी होगी क्योंकि अगर बगावत होने के बाद कोई आजाद खड़ा हुआ तो उसका नुकसान उन्हें ही होगा।
पिछले लोकसभा चुनाव में बसपा के कैंडिडेट बलविंदर कुमार को सबसे ज्यादा वोटें फिल्लौर व आदमपुर से मिली थी। फिल्लौर से 43,916 और आदमपुर में 39,472 वोट आई थी। तीसरा बड़ा विस क्षेत्र करतारपुर का था, जहां से बसपा को 31,047 सीटें मिली थी। करतारपुर तो अकाली दल ने बसपा के लिए छोड़ दी लेकिन फिल्लौर व आदमपुर अपने खाते में रख ली। यही बसपा नेताओं व समर्थकों की नाराजगी है कि जहां उनका सबसे बड़ा जनाधार है, वही सीट उन्हें नहीं दी गई।

जालंधर की सीटों से वर्कर नहीं सहमत :
बसपा के जिला प्रधान अमृतपाल भौंसले ने कहा कि हमने फिल्लौर में वर्कर सम्मेलन किया। इसमें अकाली-बसपा गठजोड़ का स्वागत किया गया लेकिन जो सीटें जालंधर में बसपा को दी गई हैं, उससे वर्कर सहमत नहीं। लोकसभा चुनाव में फिल्लौर से बसपा दूसरे व अकाली दल तीसरे नंबर पर रहा, फिर भी यह सीट अकालियों के पास रह गई। आदमपुर में तो बसपा पहले नंबर पर थी, लेकिन वह भी नहीं दी गई।

अकाली दल सीट बंटवारे में फायदे में रहा। जालंधर में 9 विधानसभा क्षेत्र हैं। इनमें अकाली दल 6 पर लड़ता था, 3 बीजेपी के खाते में थी। सीट बंटवारे में अकाली दल ने सिर्फ करतारपुर छोड़ी। जालंधर नॉर्थ व वेस्ट तो पहले से ही बीजेपी लड़ती रही तो उसे भी बसपा को दे दिया। इसके उलट फिल्लौर व आदमपुर जैसी सीट पर उन्हें बसपा के जनाधार का बड़ा फायदा मिलेगा। दिलचस्प बात यह है कि वेस्ट व नॉर्थ में लोकसभा चुनाव के दौरान बसपा को कम वोटें मिली थी, यही वजह है कि सीट शेयरिंग का यह फॉर्मूला बसपा वर्करों को रास नहीं आ रहा।


मायावती पर लगाया आरोप : बेचा दलितों के हित्तों को :
सांसद चौधरी संतोख सिंह ने कहा कि एक बार फिर बसपा सुप्रीमो मायावती ने समुदाय के साथ धोखा किया है। अकाली दल पूरी तरह से दलित विरोधी है और मायावती ने उसके साथ समझौता करके दलितों के हित बेच दिए हैं। बसपा और अकाली दल हमेशा से ही अंदर खाते मिलकर चुनाव लड़ते हैं लेकिन इस बार सच्चाई सामने आ गई है।


दोवारा मंथन की अपील :
अकाली दल के बसपा के साथ समझौते पर सीनियर भाजपा नेता एवं पूर्व मेयर सुनील ज्योति ने कहा कि भाजपा के साथ दशकों तक सत्ता का सुख भोगने वाले अकाली दल को अब मजबूरी में बसपा से समझौता करना पड़ रहा है। पंजाब में बसपा का आधार खत्म हो चुका है और चुनाव में अकाली दल को करारी हार मिलेगी। दावा किया कि भाजपा सभी 117 सीटों पर चुनाव लड़कर अपना मुख्यमंत्री बनाएगी। अकाली दल में भी नाराजगी, कीमती भगत ने दोबारा मंथन की अपील की

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