Attack: Black fungus not stopping in Jalandhar

अटैक : जालंधर में नहीं थम रहा ब्लैक फंगस का खतरा ,दो मरीजों की मौत

Latest Punjab

जालंधर (पंजाब 365 न्यूज़ ) : कोरोना महामारी से लोगो को जान के लाले पड़े हुए है दूसरी तरफ ब्लैक फंगस का खतरा भी दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। जालंधर में भी ब्लैक फंगस का अटैक शुरू हो गया है। जिले के दो मरीज कुछ दिन पहले PGI चंडीगढ़ में दम तोड़ चुके हैं। जिनकी मौत का कारण वहां के डॉक्टरों ने म्यूकोमाइकोसिस (ब्लैक फंगस) बताया है। शुक्रवार को पंजाब सरकार ने ब्लैक फंगस को महामारी घोषित कर दिया है। जिसके बाद जिले के सभी प्राइवेट अस्पतालों से ऐसे मरीजों का रिकॉर्ड तलब कर लिया गया है। इसके अलावा ब्लैक मार्केटिंग के डर से ब्लैक फंगस के इलाज वाली दवाओं की बिक्री पर भी अंकुश लगाकर इसे रेगुलेट किया जा रहा है।कोरोना के बाद ब्लैक फंगस के मरीज आने के बाद सेहत विभाग व जिला प्रशासन चौकन्ना हो गया। शुक्रवार को जिले में ब्लैक फंगस के चार और संदिग्ध मरीज रिपोर्ट हुए। इसी बीच सामने आया कि ब्लैक फंगस से जालंधर के एक नहीं बल्कि दो मरीजों की मौत हुई थी। दोनों मरीज पीजीआई चंडीगढ़ में दाखिल थे।

जालंधर में 9 कन्फर्म मरीज, करीब 12 मरीजों में ऐसे लक्षण
पंजाब सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने दो दिन पहले जिला सेहत अफसरों से ब्लैक फंगस या उसके संदिग्ध मरीजों का ब्यौरा मांगा था। इसके बाद जालंधर में भी सेहत अफसरों ने पड़ताल की तो ब्लैक फंगस के 9 कन्फर्म मरीज मिले थे। इसके अलावा 12 ऐसे मरीज थे, जिनमें ब्लैक फंगस जैसे लक्षण थे। इसकी रिपोर्ट सरकार को भेज दी गई थी। इसके बाद ही बीमारी के असर को देखते हुए पंजाब सरकार ने इसे महामारी घोषित कर दिया।शुक्रवार को जिले में ब्लैक फंगस के केस आने व अब तक 21 मरीजों के सामने आने के मामले का पर्दाफाश किया था।

उसके बाद जिला प्रशासन ने सेहत विभाग को इस मामले को अति गंभीरता से लेने की हिदायतें दी है। विभिन्न अस्पतालों में ब्लैक फंगस के आए मरीजों की जानकारी भी जुटाने के लिए कहा गया है। अब तक जो तथ्य सामने आए, उनके अनुसार कोरोना संक्रमित होने के बाद शुगर के रोगियों पर इसका ज्यादा प्रभाव पड़ा। अधिकतर मरीज वहीं थे जिनको पहले कोरोना हो चुका था और शुगर की बीमारी से पीडि़त थे।
जिला परिवार कल्याण अधिकारी व ईएनटी स्पेशलिस्ट डा. रमन गुप्ता ने कहा कि मेडिसिननेट की एक रिपोर्ट के अनुसार, मधुमेह या एचआइवी जैसी बीमारियों वाले मरीजों को ब्लैक फंगस हो सकता है। इस बीमारी का मुख्य कारण स्टेरॉयड की हाई डोज का इस्तेमाल और लंबे समय तक आईसीयू में हाई फ्लो आक्सीजन देना है। जिन लोगों की शुगर बढ़ी होती है, स्टेरॉयड से उनमें ब्लैक फंगस की संभावना बढ़ जाती है। आईसीयू में लंबे समय तक रहने वाले मरीज इस बीमारी की गिरफ्त में आ सकते है। उन्होंने कहा कि अब तक आए मरीजों की रिपोर्ट को स्टडी किया जा रहा है। जांच के बाद ही पता चल पाएगा कि कितने मरीजों को कोरोना होने के बाद ब्लैक फंगस हुआ।

क्या कहना है डॉक्टर्स का :
पटेल अस्पताल के डा. शमित चोपड़ा का कहना है कि ब्लैक फंगस बीमारी काफी पुरानी है। वर्तमान समय में शुगर के रोगियों को कोरोना होने के साथ ब्लैक फंगस होने के मामले सामने आने लगे है। कोरोना के इलाज के दौरान हाईडोज स्टेरॉयड व आक्सीजन से ब्लैक फंगस को पनपने और फैलने का सही एनवायरमेंट मिल जाता है। सही समय पर इलाज से मरीजों को सुरक्षित करना संभव है। सर्जरी व दवाइयों से मरीजों को राहत दिलाई जा सकती है।

सिविल सर्जन डा. बलवंत सिंह ने कहा कि पीजीआई में मरे मरीजों की मौत ब्लैक फंगस से हुई, इस बारे में पुख्ता जानकारी आना बाकी है। जिले में मरीजों की संख्या को देखते हुए राज्य सरकार ने इसे नोटिफाई बीमारी घोषित कर दिया है। जिले के सभी अस्पतालों के डाक्टरों को अब मरीज आने पर सेहत विभाग को सूचित करना होगा।

डा. रमन गुप्ता ने कहा कि कोरोना के इलाज में स्टेरॉयड का इस्तेमाल सही तरीके से होना चाहिए। स्टेरॉयड केवल कोरोना के प्रभाव से लड़ने में प्रभावी होते हैं लेकिन वे इम्यूनिटी भी कम करते है। डायबिटीज के मरीज को स्टेरॉयड देने पर उसका शुगर लेवल बढ़ सकता है। इससे उसमें कोरोना के गंभीर होने के साथ-साथ ब्लैक फंगस होने की संभावना बढ़ जाती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *