आज मनाया जा रहा है हिंदी दिवस जानिए कब और कैसे हुई इसकी शुरुआत

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Hindi Diwas 14 September 2021 ( पंजाब 365 न्यूज़ ): देशभर में 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है। य‍ह दिन हिंदी भाषा की महत्‍वता और उसकी नितांत आवश्‍यकता को याद दिलाता है। सन 1949 में 14 सितंबर के दिन ही हिंदी को राजभाषा का दर्जा मिला था जिसके बाद से अब तक हर साल यह दिन ‘हिंदी दिवस’ के तौर पर मनाया जाता है। संविधान सभा ने 14 सितंबर, 1949 को देवनागरी लिपि में लिखी हिंदी को भारत की आधिकारिक भाषा के तौर पर स्वीकार किया था। इसी दिन देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की सरकार ने हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया। आधिकारिक तौर पर पहला हिंदी दिवस 14 सितंबर, 1953 को मनाया गया था।
इस दिवस को मनाने का उद्देश्य इस बात से लोगों को रूबरू कराना है कि जब तक वे पूरी तरह से इस बात से हिंदी का प्रयोग नहीं करेंगे, तब तक हिंदी भाषा का विकास नहीं हो पायेगा। हर साल की तरह इस साल भी 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है। हिंदी को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सभी सरकारी कार्यालयों में अंग्रेजी के स्थान पर हिंदी का उपयोग करने की सलाह दी जाती है।
हिंदी को राष्ट्रभाषा तो बना दिया गया मगर जहां जहां हिंदी आनी चाहिए थी नहीं आई, जैसे अदालतों में, बैंक में, कार्यालयों में। इसके प्रसार के लिए बैक, ऑफिस हर जगह स्थायी डेस्क होनी चाहिए जो लोगों को हिंदी में काम करने के लिए बढ़ावा दे। अभी ज्यादातर कार्यालय में हिंदी अधिकारी से उलटा हिंदी से इंग्लिश में ट्रांसलेशन करवाया जा रहा है। डॉ भट्ट कहते हैं, शिक्षा के प्राथमिक स्तर से हिंदी में पढ़ाया जाना जरूरी है। इंग्लिश समेत बाकी भाषाएं अलग से पढ़ाई जा सकती हैं।
साथ ही, जो लोग कहते हैं कि हिंदी में भारी भरकम शब्द हैं तो यह इसलिए है क्योंकि आप इसे बोलते ही नहीं। हिंदी का सरलीकरण भी समाधान नहीं है, बल्कि अभ्यास और प्रयोग समाधान है। आप इंग्लिश सुधारने के लिए वोकैब्यलेरी पर काम कर सकते हैं तो हिंदी में क्यों नहीं। साथ ही, अगर लोगों को हिंदी बोलने में शर्म आएगी, तो यह पीछे होगी ही, जबकि दूसरे देशों में लोग स्वाभाविक तौर पर अपनी भाषा स्वाभिमान से बोलते हैं।

बता दें कि हिंदी एक इंडो-आर्यन भाषा है, जिसे देवनागरी लिपि में भारत की आधिकारिक भाषाओं में से एक के रूप में लिखा गया है। केंद्र सरकार की दो आधिकारिक भाषाओं में से एक हिंदी है और दूसरी अंग्रेजी। यह भारत गणराज्य की 22 अनुसूचित भाषाओं में से एक है। हिंदी दिवस आधिकारिक भाषा को बढ़ावा देने और प्रचारित करने के लिए समर्पित है।
भारत में स्कूल और कॉलेज इस दिन हिंदी में साहित्यिक-सांस्कृतिक कार्यक्रम और प्रतियोगिताएं आयोजित करते हैं, जिनमें सभी छात्र हिस्सा लेते हैं। देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाने का फैसला किया था। अधिकांश शैक्षणिक संस्थान कविता, निबंध और पाठ प्रतियोगिताओं का आयोजन करते हैं और छात्रों को हिस्सा लेने, भाषा का जश्न मनाने और उस पर गर्व करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। यादगार दिन को मनाने के लिए आप कई साहित्यिक गतिविधियों के साथ-साथ समारोह भी देख सकते हैं।

साल 1947 में जब भारत आजाद हुआ तो देश के सामने एक राजभाषा के चुनाव को लेकर सबसे बड़ा सवाल था. भारत हमेशा से विविधताओं का देश रहा है, यहां सैकड़ों भाषाए और बोलियां बोली जाती है. राष्ट्रभाषा के रूप में किस भाषा को चुना जाए ये बड़ा प्रश्‍न था. काफी विचार के बाद हिंदी और अंग्रेजी को नए राष्ट्र की भाषा चुन लिया गया. संविधान सभा ने देवनागरी लिपी में लिखी हिन्दी को अंग्रजों के साथ राष्ट्र की आधिकारिक भाषा के तौर पर स्वीकार किया.

14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने एक मत से निर्णय लिया था कि हिंदी भारत की राजभाषा होगी. प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने इस दिन के महत्व देखते हुए हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाए जाने का ऐलान किया. पहला हिंदी दिवस 14 सितंबर 1953 को मनाया गया था.

राजभाषा के दर्ज में अंग्रेजी को हटाकर हिंदी को चुने जाने पर देश के कुछ हिस्सों में विरोध प्रर्दशन शुरू हो गया था. तमिलनाडु में जनवरी 1965 में भाषा विवाद को लेकर दंगे भी छिड़ गए थे. साल 1918 में महात्मा गांधी ने हिंदी साहित्य सम्मेलन में हिन्दी भाषा को राष्ट्रभाषा बनाने को कहा था। गांधी ने हिंदी साहित्य सम्मेलन में हिन्दी भाषा को राष्ट्रभाषा बनाने को कहा था. गांधी जी ने ही हिंदी को जनमानस की भाषा भी कहा था।

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