What Is The "Golden Hour"

क्या है “गोल्डन आवर” जानिए कैसे इंसान के सोने का समय और दिल की बीमारियों के बीच एक कनेक्शन पाया गया है

Latest Lifestyle National

हार्ट अटैक (पंजाब 365 न्यूज़ ) : आजकल हर कोई इंसान बहुत व्यस्त हो गया है और व्यस्त रहने के कारण हमारा खानपान और सोने का वक़्त सबकुछ बदल गया है कई लोग तो रात रात भर समार्टफोन का इस्तेमाल करते रहते है जिसकी वजह से लोगो की सेहत पर बहुत बुरा असर पड़ता है। पहले पहले तो लोगो को इसका एहसास नहीं होता जब लोगो की इनकी वजह से कई बीमारियां घेर लेती है तब जाकर इनको एहसास होता है । अगर हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा घटाना है तो रात में 10 से 11 बजे के बीच सो जाइए। वैज्ञानिक इस समय को ‘गोल्डन आवर’ कहते हैं, उनका मानना है इंसान के सोने का समय और दिल की बीमारियों के बीच एक कनेक्शन पाया गया है। खासकर महिलाओं में जो देर से सोती हैं

यह दावा इंग्लैंड की एक्सेटर यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने अपनी हालिया रिसर्च में किया है। शोधकर्ताओं का कहना है, अगर आप आधी रात में या काफी देर से सोने के लिए जाते हैं तो हार्ट डैमेज हो सकता है।
शोधकर्ताओं का कहना है, इंसान की नींद और दिल की बीमारी के बीच एक कनेक्शन है। जो लोग देरी से सोते हैं वो सुबह देरी से उठते हैं, उनकी बॉडी क्लॉक डिस्टर्ब हो जाती है। हार्ट पर बुरा असर पड़ता है। इस तरह रात में जल्दी सोकर दिल की बीमारियों का खतरा कम कर सकते हैं।
यूरोपियन हार्ट जर्नल में पब्लिश रिसर्च कहती है, हम लोगों को प्रेरित कर रहे हैं कि जल्दी सोकर दिल की बीमारियों का खतरा कम किया जा सकता है। शोधकर्ता डॉ. डेविड प्लान्स कहते हैं, 24 घंटे चलने वाली शरीर की अंदरूनी घड़ी ही हमें शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रखती है। इसे सरकेडियन रिदम कहते हैं। देर से सोने पर सरकेडियन रिदम बिगड़ती है। इसलिए इसे बेहतर करने की जरूरत है।

हार्ट अटैक से कई महीने पहले या कई सप्ताह पहले हमारा शरीर हमें संकेत देने लगता है कि शरीर के अंदर सबकुछ ठीक नहीं है, हमें ध्यान देने की जरूरत है। लेकिन जानकारी के अभाव में हम शरीर के इन संकेतों को अनदेखा कर देते हैं। बस यही लापरवाही कुछ वक्त बाद हम पर भारी पड़ती है और हमें Heart Attack जैसी जानलेवा स्थिति का सामना करना पड़ता है।
अटैक अचानक ही होता है, फिर चाहे हार्ट का हो या ब्रेन का हो। लेकिन कई महीने या कुछ हफ्तों पहले से शरीर में कुछ ऐसे बदलाव नजर आने लगते हैं, जो हमारे दैनिक जीवन में दखल डालते हैं। मेडिकल की भाषा में हार्ट अटैक को एमआई कहा जाता है यानी मायोकार्डियल इंफ्रेक्शन (Myocardial Infarction)।

हार्ट अटैक अचानक जरूर होता है लेकिन बिना संकेत दिए यह भी नहीं आता। बस जरूरी यह है कि हम शरीर के इन इशारों के समझ पाते हैं या नहीं। जरा-सी चूक भी भारी पड़ सकती है। यहां जानें शरीर में कैसे नजर आते हैं

हार्ट अटैक से कई महीने पहले या कई सप्ताह पहले हमारा शरीर हमें संकेत देने लगता है कि शरीर के अंदर सबकुछ ठीक नहीं है, हमें ध्यान देने की जरूरत है। लेकिन जानकारी के अभाव में हम शरीर के इन संकेतों को अनदेखा कर देते हैं। बस यही लापरवाही कुछ वक्त बाद हम पर भारी पड़ती है और हमें Heart Attack जैसी जानलेवा स्थिति का सामना करना पड़ता है…
सबसे पहले अटैक को समझें

अटैक अचानक ही होता है, फिर चाहे हार्ट का हो या ब्रेन का हो। लेकिन कई महीने या कुछ हफ्तों पहले से शरीर में कुछ ऐसे बदलाव नजर आने लगते हैं, जो हमारे दैनिक जीवन में दखल डालते हैं। मेडिकल की भाषा में हार्ट अटैक को एमआई कहा जाता है यानी मायोकार्डियल इंफ्रेक्शन (Myocardial Infarction)।


जानें एंजायना पेन (Angina pain )

-चलने पर काम करते समय छाती में हैवीनेस या भारीपन होता है। जो काम बंद करने के बाद ठीक हो जाता है। एंजायना पेन कहलाता है। यह दिल की बीमारी का एक सामान्य लक्षण होता है और ज्यादतर केसेज में देखने को मिलता है।

सांस फूलना:
सांस फूलने की दिक्कत होने लगती है। जैसे आपको कुछ अचानक लगता है कि रोज तो आप दो फ्लोर या लंबी दूरी चलकर ऑफिस जाते थे लेकिन अभी तो एक मंजिल उतरते या चढ़ते ही आपकी सांस फूलने लगती हैं। अगर ऐसा लंबा समय तक हो रहा है और आपकी हेल्थ में किसी और तरह की दिक्कत नहीं है तो आपको इस समस्या को अनदेखा नहीं करना चाहिए।
हार्ट की तकलीफ से जुड़े कुछ लक्षण ऐसे होते हैं, जो कई अन्य बीमारियों में भी देखने को मिलते हैं। इस कारण इन लक्षणों के आधार पर बिना जांच किए यह समझ पाना मुश्किल होता है कि यह हार्ट अटैक का लक्षण है। क्योंकि ये लक्षण कई अन्य बीमारियों में भी देखने को मिलते हैं।

चक्कर आना और घबराहट होना :
इनमें चक्कर और उल्टी आना या चक्कर के साथ उल्टी जैसा (नोजिया) महसूस होना भी हार्ट की बीमारी के लक्षण हो सकते हैं। हालांकि ये लक्षण पेट की बीमारी, ब्रेन से जुड़ी दिक्कत या शुगर कम होने पर भी महसूस हो सकते हैं। हार्ट वाले केस में कई बार सिर्फ चक्कर भी आ सकता है और नोजिया फील नहीं होता।
ऊपर बताए गए लक्षणों के अलावा कुछ लोगों को लेफ्ट हेंड यानी बाएं हाथ में दर्द रहने की समस्या होने लगती है। यह दर्द जॉ लाइन यानी जबड़े तक जाता है। जबकि कुछ लोगों में लेफ्ट और राइट दोनों हाथों में दर्द हो सकता है, साथ ही यह दर्द जॉ लाइन तक जाता है।

आमतौर पर यह दर्द चलते वक्त या कोई काम करते वक्त महसूस होता है। लेकिन रुकने और आराम करने पर ठीक हो जाता है। ऐसे में अक्सर इसे थकान या कमजोरी के कारण होनेवाला दर्द मानकर अनदेखा कर दिया जाता है। क्योंकि यह उस स्थिति में भी हो सकता है। जबकि हार्ट अटैक का लक्षण भी हो सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *