
जानिए कौन है कंवल सिंह चौहान जिनके पास आते है देश के कोने कोने से लोग खेती का हुनर सीखने
हरियाणा ( पंजाब 365 न्यूज़ ) : कहते है हिम्मत और जज्बा हो तो कोई भी काम बड़ा नहीं होता है। हरियाणा देश का एक ऐसा राज्य है जो ज्यादातर क्षेत्रों में अपनी कृषि की आधुनिकता और दूध उत्पादन के लिए पहचाना जाता है। आए दिन यहां के किसानों की गूंज पूरे देश में सुनाई देती है। उन्हीं किसानों में से एक किसान है कंवल सिंह चौहान. जिन्हें भारत सरकार ने पद्म श्री सम्मान के लिए चयनित किया है. बेबी कॉन, स्वीट कॉन और मशरूम की खेती के लिए पहचाने जाने वाले देश के सर्वोच्च किसान कंवल सिंह हरियाणा के सोनीपत जिले के अटेरना गांव के रहने वाले हैं. कंवल सिंह चौहान साल 1978 से खेती करते आ रहे हैं. कहते हैं अगर जिंदगी में कोई सबसे बड़ा बोझ इंसान पर होता है तो वो बोझ है जिम्मेदारियों का बोझ….बचपन में अपने पिता को खो देने वाले कंवल सिंह चौहान पर जब जिम्मेदारियों का बोझ आया तब उन्होंने वही पारंपरिक खेती करने की ठानी.कंवल सिंह चौहान, पद्मश्री पुरस्कार विजेता, प्रगतिशील किसान, अटेरना। पद्मश्री कंवल सिंह चौहान ने विदेशों से कॉल आने की सूचना दी है। साथ ही उन पर दबाव बनाए जाने की बात कही है। उनका कहना है कि आंदोलन को विदेश से आर्थिक मदद मिल रही है।
लिए बैंक से लोन और पड़ गया जब घाटा:
हालांकि इस खेती से उनके घर तक का गुजारा भी बामुश्किल चल पा रहा था. परिवार की बिगड़ती दशा को देख उन्होंने खेती छोड़ RICE मिल लगाने पर विचार किया, जिसके चलते उन्होंने साल 1996 में बैंक से भारी भरकम कर्ज ले लिया. हालांकि इस दौरान भी उन्हें फायदा नहीं हुआ और इसमें घाटा झेलना पड़ा. कर्ज इतना बढ़ा की वो दूसरा उघोग चलाने के बारे में नहीं सोच सके. मगर उन्होंने इस दौरान भी एक चीज नहीं हारी….हिम्मत और एक बार फिर खेती में नई शुरुवात करते हुए साल 1998 में मशरूम और बेबी कॉर्न की खेती करना शुरू किया. इस दौरान उन्हें इस खेती में भी काफी मुश्किलें आई. लेकिन धीरे-धीरे इस खेती में उन्हें मुनाफा होने लगा. जिसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा. लगभग दो एकड़ में फैली यूनिट में बेबी कॉर्न, स्वीट कॉर्न, अनानास, फ्रूट कॉकटेल, मशरूम स्लाइस सहित उन्होंने कुल आठ प्रकार के उत्पाद अपनी फूड प्रोसेसिंग यूनिट में तैयार किये. जिसका निर्यात इस समय वो इंग्लैंड, अमेरिका जैसे देशों में करते हैं.
यही वजह है कि, आज कंवल सिंह को देख और खेती से होने वाले मुनाफो को देखकर उनके आस-पास के किसान भी इस खेती में रुचि ले रहे हैं और उनके पास आकर खेती के गुण सीख रहे हैं. हालांकि जब गांव में बेबी कॉर्न और स्वीट कॉर्न का उत्पादन बढ़ने लगा तो किसानों को बाजार में उन्हें बेचने में दिक्कत ना हो उसके लिए उन्होंने साल 2009 में फूड प्रोसेसिंग यूनिट शुरू किया. जिसमें बेबी कॉर्न, मशरूम, स्वीट कॉर्न, मधुमक्खी पालन की खेती करने के साथ ही कंवल सिहं किसानों को इसके प्रति जागरूक करते हैं. जिसके चलते देश के हर कोने से किसान उनके पास खेती के हुनर सीखने आते हैं.
कभी थे कर्ज में, आज 400 लोगों को दे रहे नौकरी :
गांव अटेरना के किसान कंवल सिंह चौहान भी आम किसानों की तरह की कर्ज में डूबे थे। गांव में अपनी जमीन पर परंपरागत खेती को छोड़कर वर्ष 1998 में सबसे पहले मशरूम और बेबी कॉर्न की खेती शुरू की। यह जोखिम कामयाब रहा और दोनों फसलों ने उन्हें अच्छी आमदनी होने लगी और फिर वे अन्य किसानों के लिए प्रेरणास्त्रोत बन गए। सरकार की किसान संपदा योजना के तहत किसानों को अपनी यूनिट लगाने को प्रेरित कर रहे कंवल सिंह चौहान के साथ आज करीब 5,000 किसान इनके साथ जुड़ चुके हैं और इसके अलावा कंवल सिंह चौहान अब तक अपनी खेती में ही 200 लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं. आज अपने आप को और दूसरे किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बना कर कंवल सिंह दूसरे किसानों के लिए प्रेरक बन गए हैं. अगर पुरस्कारों की बात करे तो कंवल सिंह को 2005 में उपायुक्त सोनीपत द्वारा देवीलाल किसान पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. इसके बाद राजीव गांधी अवार्ड, एन.जी. रंगा अवार्ड, कृषि के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए प्रदेश स्तरीय अवार्ड और 2013 में कंवल सिंह को तत्कालीन गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा भी कृषि क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए सम्मानित किया था. एक बार फिर अपनी खेती के ही दम पर उन्हें भारत सरकार ने पद्म श्री सम्मान से सम्मानित करने का ऐलान किया है. इसके अलावा साथ ही गुजरात, हरियाणा, पंजाब और दिल्ली स्थित पूसा द्वारा कंवल सिंह को कई बार सम्मानित किया गया हैं.
खेती में मुनाफे की अगर बात करें तो, बहुत से ऐसे किसान है जिन्हें ऐसा लगता है कि, खेती में उतना मुनाफा नहीं है. हालांकि मुनाफा तब नजर आता है जब उसे सच्ची लगन से की जाती है. जैसा की कंवल सिंह चौहान ने करके दिखाया है.
PM,मोदी ने मन की बात में भी किया है इनका जिक्र :
PM नरेंद्र मोदी ने मन की बात में अटेरना गांव के प्रगतिशील किसान पद्मश्री कंवल सिंह चौहान का उदाहरण देकर देशभर के किसानों को प्रोत्साहित किया। 15 साल की उम्र से खेती करने वाले कंवल सिंह को पिछले ही वर्ष खेती में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए पद्मश्री से नवाजा गया है। प्रधानमंत्री ने उनका और उनके गांव के अन्य किसानों का उदाहरण देकर किसानों को हताशा और निराशा से उबरकर आधुनिक तरीके से खेती करने और अपनी मर्जी से कहीं भी फसल बेचने के फायदे बताये।
प्रगतिशील किसान कंवल सिंह चौहान और गांव अटेरना का नाम लेते हुए प्रधानमंत्री ने एपीएमसी (कृषि उपज मंडी समिति) एक्ट में बदलाव कर सब्जी व फलों को इससे बाहर करने से यहां के किसान लाभान्वित हुए। कंवल सिंह का नाम लेते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि पहले उन्हें अपनी फसल मंडी से बाहर बेचने पर उनकी गाड़ियां तक जब्त कर ली जाती थी।