I see your innocent face.

देखता हूँ तेरे मासूमियत भरे चेहरे को : मुकम्मल सारा जहाँ नजर आता है ।

Lifestyle National

देखता हूँ तेरे मासूमियत भरे चेहरे को ।
मुकम्मल सारा जहाँ नजर आता है ।
तेरी हँसी , तेरी खिलखिलाहट
दिल को सुकून तो देती है ।
लेकिन कभी कभी दिल बैठ भी जाता है ।
बढता हुआ तुम्हें देखता हूँ
तो दुनिया का दूसरा रूप अनायास ही याद आ जाता है ।
एक अंजाना सा अंधेरा आँखों के आगे छा जाता है ।
बचपन मे पढा था , मनुष्य में पशुता की निशानी होती हैं ।
पर आज के जमाने मे मनुष्यता ही खो गई है ।
ये दरिंदगी , ये हैवानियत इंसान में न जाने कहाँ से समा गई है ।
वक्त के थपेड़ों ने इंसान को क्या से क्या बना दिया है ।
अच्छे खासे इंसान को हैवान बना दिया है ।

लोकेश वर्मा (लक्ष्य)
कवि
रायपुर ( छत्तीसगढ़ )

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