
हिज़ाब ,बुर्का , नकाब ,में क्या है अंतर : इस्लामिक धर्म में क्या कहती है पर्दा प्रथा
कर्नाटक ( पंजाब 365 न्यूज़ ) : कर्नाटक में हिज़ाब को लेकर जंग छिड़ी हुई है। मेरा मानना है की हम स्वतंत्र भारत में रहते है हम अपनी इच्छा के अनुसार कुछ भी पहन सकते है। हम चाहे किसी भी धर्म से क्यों न सबंध रखते हो हर इंसान को अपनी इच्छानुसार कुछ भी पहनने की स्वतंत्रा है लेकिन कर्नाटक में हिज़ाब को लेकर एक बात आग की तरह फैलती ही जा रही है। हम लोग कब समझेंगे की सबको अपनी इच्छानुसार जीने का पहनने का पूरा अधिकार है। हम किसी के भी ऊपर अपनी मर्जी नहीं थोप सकते हैं। हिजाब को लेकर पूरी दुनिया में बहुत सी धारणाएं हैं. दुनिया की बहुत सी संस्कृतियों में औरतों को अपना सिर और बाल ढककर रखने की बात कही जाती है. इस्लाम में औरतों को अपने पिता और पति के अलावा अन्य सभी आदमियों के सामने खुद को ढककर रखने की बात कही जाती है. ऐसे में औरतें खुद को ढकने के लिए एक खास किस्म का परिधान इस्तेमाल करती हैं. भारत, पाकिस्तान, ईरान, इराक, अमेरिका, इंग्लैंड समेत पूरी दुनिया में बहुत सी मुस्लिम महिलाएं सिर से पांव तक एक बड़ा सा कपड़ा ओढ़ती हैं जिसे हिजाब कहा जाता है. जहां एक तरफ सऊदी अरब, ईरान, इराक में कई जगहों पर बिना अपने बाल ढके घर से बाहर निकली महिलाओं पर आदमी फब्तियां कसते हैं और औरतों को जान से मारने की धमकी भी देते हैं, वहीं यूरोप के बहुत से देशों में इसे पहनने पर बैन लगा हुआ है. डेनमार्क के प्रधानमंत्री के अनुसार उनके देश में कोई भी महिला अपना पूरा चेहरा ढककर पब्लिक में नहीं घूम सकती है। मुस्लिम धर्म में बुर्का, नकाब, हिजाब आदि पहनने का चलन है और इसके पीछे कई तरह की धार्मिक मान्यताएं हैं. महिलाओं के शरीर को ढकने के लिए अलग-अलग तरह के इन कपड़ों का इस्तेमाल किया जाता है. आपने देखा होगा कि मुस्लिम महिलाएं अलग-अलग तरीके से शरीर को ढकती हैं. ऐसे में जानते हैं कि आखिर बुर्का, नकाब, हिजाब आदि में क्या अंतर होता है…
हिजाब :
हिज़ाब नकाब से काफी अलग होता है. हिजाब में एक कपड़ा होता है, जिससे महिला का सिर और गर्दन ढकी रहती है, लेकिन महिला का चेहरा दिखता रहता है. यह हर परंपरा और रिवाज या मान्यता के आधार पर तय होता है कि महिला क्या पहनती हैं. कहा जाता है कि इसमें बालों को पूरी तरह से ढकना होता है. शरीर के कुछ अंगों को ढकने या छुपाने के लिए मुस्लिम महिलाएं और लड़कियां जिस वस्त्र को प्रयोग में लाती हैं उसे कहते हैं, मुसलमानों में हैडस्कार्फ और नक़ाब के मिले जुले रूप का ये आधुनिक परिधान है जिसे मुस्लिम महिलाएं बाहर जाने पर पहनती हैं।हिजाब का शाब्दिक अर्थ है आड़,ओट या परदा। हिजाब, नक़ाब, स्कॉर्फ वस्त्रों के नामों से फ़र्क़ समझना मुश्किल होता बुर्का, अबाया, नकाब आदि शब्द कुरान से अपरिचित हैं। विभिन्न देशों के मुसलमानों ने इस्लामी परदे के नियम के लिए अलग-अलग प्रथाओं को अपनाया है। हिजाब परिधान की विभिन्न देशों में अलग-अलग कानूनी और सांस्कृतिक स्थिति है
। अफ़ग़ानिस्तान और ईरान में महिलाओं के लिए अनिवार्य है, वहीं फ्रांस में प्रतिबंध है तो तुर्की में प्रतिबंध हटाये गये हैं। सार्वजनिक प्रयोग पर बहस लगातार हो रही है। साथ ही, कुरान में हिजाब शब्द ‘कपड़ों’ के बराबर नहीं है। इस शब्द के कई रूपक आयाम हैं, जिनमें से कोई भी महिलाओं के कपड़ों से संबंधित नहीं है। मुस्लिम बहुल देशों ने हिजाब पर प्रतिबंध लगा दिया है। कुरान में हिजाब का ताल्लुक कपड़े के लिए नहीं, बल्कि एक पर्दे के रूप में किया गया है जो औरतों और आदमियों के बीच हो. कुरान में मुसलमान आदमियों और औरतों दोनों को ही शालीन कपड़े पहनने की हिदायत दी गई है. यहां कपड़ों के लिए खिमर (सिर ढकने के लिए) और जिल्बाब (लबादा) शब्दों का जिक्र है. हिजाब के अंतर्गत औरतों और आदमियों दोनों को ही ढीले और आरामदेह कपड़े पहनने को कहा गया है, साथ ही अपना सिर ढकने की बात कही गई है.क़ुरआन मुस्लिम पुरुषों और महिलाओं दोनों को विनम्र तरीके से कपड़े पहनने का निर्देश देता है, फिर भी इन निर्देशों का पालन कैसे किया जाना चाहिए, इस पर असहमति है। पोशाक से संबंधित छंद सिजाब के बजाय खिमार (घूंघट) और जिलबाब (एक पोशाक या लबादा) शब्दों का उपयोग करते हैं। क़ुरआन की 6,000 से अधिक आयतों में से लगभग आधा दर्जन विशेष रूप से एक महिला के कपड़े पहनने और सार्वजनिक रूप से चलने के तरीके का उल्लेख करती है। मामूली पोशाक की आवश्यकता पर सबसे स्पष्ट सूरा 24:31 है,जो महिलाओं को अपने जननांगों की रक्षा करने और अपनी छाती पर अपना खिमार (घूंघट) खींचने के लिए कहती है।
बुर्का :
भारत में अक्सर मुसलमान औरतों द्वारा पहने जाने वाले काले लबादे जैसी पोशाक को हम बुर्का कह देते हैं. दरअसल बुर्का उससे कुछ अलग होता है. नकाब का ही अगला स्तर बुर्का है. जहां नकाब में आंखों के अलावा पूरा चेहरा ढका होता है, बुर्के में आंखें भी ढकी होती हैं. कुरान में महिलाओं और पुरुषों के लिए किसी भी खास तरह के धार्मिक परिधान का ज़िक्र नहीं है. … इनमें पहला है बुर्का- जिसमें सिर से लेकर पैर तक पूरा शरीर एक कपड़े से ढका होता है और आंखों के आगे भी एक मोटी सी जाली होती है। बुर्क़ा मुस्लिम समाज की स्त्रियों में महिलाओं द्वारा घर से बाहर निकलने के अवसर पर अनिवार्य रूप से पहना जाता है। बुर्क़े को इस्लाम धर्मावलंवी स्त्रियों के सम्मान की रक्षा करने वाला साधन मानते हैं। पर्दा प्रथा के दौर में इसके पहनने पर अधिक सख्ती थी। बुर्क़ा का आत्मघाती कार्यवाइयों में इस्तेमाल तथा उसका अपराधियों द्वारा स्वयं को छुपाने के उपकरण के रूप में प्रयोग करने की घटनाओं के बाद उसके सार्वजनिक स्थलों में प्रयोग पर गंभीर विवाद खड़ा हो गया। इसके पश्चात अनेक इसाई बहुल पश्चिमी देशों ने सार्वजनिक स्थलों पर बुरका पहनने को प्रतिबंधित कर दिया।
बुर्के में महिला पूरी तरह से ढकी होती हैं. इसमें सिर से लेकर पांव तक पूरा शरीर ढका रहता है, यहां तक कि आंख पर एक पर्दा रहता है. आंखों के सामने एक जालीदार कपड़ा होता है, जिससे कि महिला बाहर का देख सके. इसमें महिला के शरीर का कोई भी अंग दिखाई नहीं देता है.
नकाब :
नकाब- ये बुर्के की तरह ही होता है लेकिन इसमें आंखें कवर नहीं होती. तीसरा है चादर- ये भी बुर्के जैसा ही होता है लेकिन इसमें आंखों के साथ चेहरा भी नहीं ढका जाता. चौथा है हिजाब- इसमें एक शॉल से केवल सिर और गर्दन को ढका जाता है. और पांचवां है दुपट्टा- जिसमें केवल सिर को किसी खास कपड़े से कवर किया जाता है। इस्लाम में कहीं भी चेहरा ढकने की बात नहीं कही गई है बल्कि सिर्फ सिर और बाल को कपड़े से छिपाने का जिक्र है. लेकिन कट्टरपंथी देशों में औरतों को अपना चेहरा भी छिपाने का फरमान होता है. ऐसे में नकाब का काम होता है सिर, चेहरा को ढकते हुए सिर्फ आंखें खुली रखना. नकाब का यह कपड़ा औरतों के गले और कंधों को ढकते हुए सीने तक आता है. अमूमन यह काले रंग का कपड़ा होता है जिसे पिन की मदद से टांका जाता है।