
जानिए कैसे 27 गांवों को उजाड़ कर बनाया गया था चंडीगढ़ , कैसे बना दो राज्यों की राजधानी
चंडीगढ़ ( पंजाब 365 न्यूज़ ) : कुछ ही लोगो को पता होगा की यहाँ आज चमचमाता चंडीगढ़ है वहाँ कई साल पहले 27 गांव बसते थे। चंडीगढ़ जैसा अद्भुत शहर भारत में स्थित है। यह शहर किसी भी राज्य का हिस्सा नहीं माना जाता। यह शहर भारत का केंद्र शासित प्रदेश है। इस शहर का नियंत्रण भारत सरकार के हाथों में है। इस शहर पर किसी भी राज्य का अधिकार नहीं। इस शहर की खास बात यह है की यह शहर पंजाब और हरयाणा दोनों राज्य की राजधानी का शहर है लेकिन इसे इन राज्यों में शामिल नहीं किया जाता। लेकिन अब चंडीगढ़ को लेकर खींचतान शुरू हो गयी है। पंजाब कहता है चंडीगढ़ हमे चाहिए हरियाणा कहता है हमे। चंडीगढ़ शहर का इतिहास 8000 साल पुराना है। शुरुवात में इस शहर में दुनिया की सबसे पहली संस्कृति हड़प्पा संस्कृति के लोग रहते थे।
मध्ययुगीन काल में यह शहर बहुत ही समृद्ध था और तब यह शहर पंजाब प्रान्त का हिस्सा था। लेकिन सन 1947 में देश को आजादी मिलने के बाद पंजाब को पश्चिम और पूर्व पंजाब में बाटा गया।
भारत का बटवारा होने के बाद पूर्व पंजाब की कोई भी राजधानी नहीं थी क्यों की उस समय लाहोर शहर पाकिस्तान को दे दिया गया था। इसीलिए पंजाब को राजधानी का शहर देने के लिए चंडीगढ़ को पुरे नियोजन से बनाया गया। इसीलिए सभीने शिवालिक पहाड़ी के बाजु में चंडीगढ़ शहर बनाने का प्लान बनाया था। इसीलिए बहुत ही सक्षम अधिकारीयो को इस शहर को बनाने का दायित्व दिया गया था।
इस शहर की खास बात यह की खुद भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने भी इस शहर के निर्माण में ध्यान दिया था। मगर इस शहर को बनाते वक्त कई सारी परेशानियों का सामना करना पड़ा। शहर बनाने के लिए सही जगह ढूँढना बहुत जरुरी था इसीलिए इस काम को करने के लिए एक समिति भी स्थापित की गयी थी।
जगह का चयन करते वक्त वहा का वातावरण, सैन्य भेद्यता, जल की सुविधा आदि बातो को ध्यान में रखा गया था और उसीके मुताबिक ही जगह को चुना गया।
मगर कुछ समय बाद हरियाणा राज्य की भी निर्मीती हुई और पंजाब और हरयाणा दोनों राज्यों को राजधानी का शहर चाहिए था। इस शहर के महत्व और यह शहर दोनों राज्यों के लिए बहुत नजदीक होने की वजह से इसे पंजाब और हरियाणा की राजधानी घोषित कर दिया गया।
इस शहर का नाम यहाँ के चंडी मंदिर के नाम पर रखा गया है, इसीलिए इस शहर को चंडीगढ़ कहा जाता है।पंजाब कांग्रेस के पूर्व प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू ने सोमवार को अपने ट्विटर हैंडल पर अरविंद केजरीवाल, भगवंत मान और हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल को टैग करते हुए लिखा कि पंजाब के 27 गांवों को उजाड़कर बनाया चंडीगढ़, पंजाब का था और रहेगा। सिद्धू ने हिंदी भाषा में किए ट्वीट में लिखा- कहीं पर निगाहें कहीं पर निशाना… चंडीगढ़ तो बहाना है, पंजाब के दरियाओं के पानी पर निशाना है।
चंडीगढ़ कैसे बनी राजधानी?
1947 में जब भारत-पाकिस्तान का बंटवारा हुआ तो पंजाब का काफी हिस्सा पाकिस्तान के हिस्से गया। तब पंजाब की राजधानी लाहौर हुआ करती थी। बंटवारे में लाहौर पाकिस्तान के हिस्से चला गया। अब पंजाब को नई राजधानी चाहिए थी। तमाम मंथन के बाद 1952 में चंडीगढ़ शहर बनाया गया और इसे पंजाब की राजधानी घोषित किया गया।
चंडीगढ़ का पर्यटन – Tourism of Chandigarh
शिवालिक पर्वत श्रेणी में होने की वजह से चंडीगढ़ शहर पर्यटन का मुख्य आकर्षण बन चूका है। आज इस शहर में पर्यटन के कई सारे स्थल देखने को मिलते है। निसर्ग प्रेमियों को देखने के लिए यहापर बहुत सारे बाग और झीले है।
यहा पर पर्यटन के कई सारे आकर्षण केंद्र है। उस मे से कुछ निचे दिए गए है:
रॉक गार्डन
सुखना झील
रोज गार्डन
सरकारी संग्रहालय और आर्ट गैलरी
अंतर्राष्ट्रीय गुडिया संग्रहालय
जापानीज गार्डन
म्यूजिकल फाउंटेन
बटरफ्लाई पार्क
बोटैनिकल गार्डन
चंडीगढ़ में कई सारे मंदिरे देखने को मिलते है। यहापर इस्कोन का प्रसिद्ध मंदिर भी है। इस शहर में हिन्दू धर्मं के लोग अधिक मात्रा होने की वजह से भी यहापर बहुत सारे मंदिर देखने को मिलते है। मगर यहापर सिख धर्मं के लोग भी बड़ी संख्या में है। यहापर सिख धर्म के भी कई सारे गुरुद्वारा देखने को मिलते है।
हरियाणा के साथ इस तरह बंटा चंडीगढ़
1966 तक चंडीगढ़ सिर्फ पंजाब की राजधानी रहा। 1 नवम्बर 1966 को पंजाब के हिंदी भाषित पूर्वी भाग को काट कर हरियाणा राज्य का गठन किया गया। पंजाबी भाषा पश्चमी भाग को वर्तमान भाग में ही रहने दिया गया। 1966 में ही चंडीगढ़ को पंजाब और हरियाणा की संयुक्त राजधानी घोषित किया गया। साथ ही इसे केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया। चंडीगढ़ के 60 फीसदी कर्मचारी पंजाब सरकार के नियमों के तहत आते हैं, वहीं 40 फीसदी हरियाणा सरकार के आधीन हैं।
हरियाणा की अलग राजधानी का हुआ था समझौता लेकिन…
पंजाब का हमेशा दावा रहा है कि चंडीगढ़ उनका हिस्सा है। वह 1985 में हुए राजीव-लोंगोवाल समझौते में भी जिक्र करते हैं। दरअसल अगस्त 1985 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी और अकाली दल के संत हरचंद सिंह लोंगोवाल के बीच एक समझौता हुआ। इस समझौता के अनुसार, चंडीगढ़ को 1983 में पंजाब में सौंपना तय हुआ। यह समझौता हुआ कि चंडीगढ़ पंजाब की राजधानी रहेगी और हरियाणा की अलग राजधानी बनाई जाएगी। हालांकि कुछ प्रशासनिक कारणों के चलते इस हस्तांतरण में देरी हुई और यह मामला अधर में अटकता चला गया।
क्या है केंद्र सरकार का नोटिफिकेशन?
केंद्र सरकार ने जो नोटिफिकेशन जारी किया है, इसके तहत चंडीगढ़ के 22000 सरकारी कर्मचारी केंद्रीय कर्मचारी हो गए हैं। नए नियमों के तहत ग्रुप ए, बी और सी ग्रेड के कर्मचारियों की रिटायरमेंट की उम्र 58 से बढ़कर 60 हो गई है। वहीं फोर्थ ग्रेड में रिटायरमेंट की उम्र 60 से 62 वर्ष हो गई है।