
पुण्यतिथि : सत्य और अहिंसा के पुजारी महात्मा गाँधी को उनकी पुण्य तिथि पर भावपूर्ण नमन , यहाँ पढ़िए बापू के प्रसिद्ध वचन
Mahatma Gandhi : (पंजाब 365 न्यूज़) : महात्मा गाँधी जिनको राष्ट्रपिता कहकर भी पुकारा जाता है। । गाँधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी था।
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जन्म गुजरात के पोरबंदर में 2 अक्टूबर 1869 को हुआ था | इनके पिता का नाम करमचंद गांधी और माता का नाम पुतलीबाई था | ब्रिटिश हुकूमत में इनके पिता पोरबंदर और राजकोट के दीवान थे। महात्मा गांधी का असली नाम मोहनदास करमचंद गांधी था और यह अपने तीन भाइयों में सबसे छोटे थे।इन्होने इंग्लैंड में बकालत की पढ़ाई पूरी कर वापिस अपने बटन लौट आये थे। गाँधी जी ने सामाजिक कार्यकर्त्ता केरूप में भी अहम् भूमिका निभाई थी। बाद में भारत के ब्रिटिश शासन के खिलाफ राष्ट्रवादी आंदोलन के नेता बने थे।
गांधी जी का सीधा-सरल जीवन इनकी मां से प्रेरित था। गांधी जी का पालन-पोषण वैष्णव मत को मानने वाले परिवार में हुआ, और उनके जीवन पर भारतीय जैन धर्म का गहरा प्रभाव पड़ा। जिसके कारण वह सत्य और अहिंसा में अटूट विश्वास करते थे और आजीवन उसका अनुसरण भी किया।
ई 1900 के सबसे सम्मानित आध्यात्मिक और राजनीतिक नेताओं में से महात्मा गाँधी एक थे। गांधी ने अहिंसक प्रतिरोध के माध्यम से भारतीय लोगों को ब्रिटिश शासन से मुक्त करने में मदद की और भारतीयों को भारतीय राष्ट्र के पिता के रूप में सम्मानित किया। महात्मा गाँधी ने स्वतंत्रता के लिए भारतीय लोगों के राष्ट्रीय आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है ।
महात्मा गाँधी बहुत बहादुर थे क्योंकि उसने भारत में स्वतंत्रता के लिए लड़ाई लड़ी और कभी हार नहीं मानी। वह परिवर्तन को बढ़ावा देने के लिए अहिंसा और शांतिपूर्ण विरोध में विश्वास रखते थे। उन्होंने ग्रेट ब्रिटेन से भारत की स्वतंत्रता के लिए लड़ाई जारी रखी थी ।
गांधी जी की प्रारम्भिक शिक्षा पोरबंदर में हुई थी। पोरबंदर से उन्होंने मिडिल स्कूल तक की शिक्षा प्राप्त की, इसके बाद इनके पिता का राजकोट ट्रांसफर हो जाने की वजह से उन्होंने राजकोट से अपनी बची हुई शिक्षा पूरी की। साल 1887 में राजकोट हाई स्कूल से मैट्रिक की परीक्षा पास की और आगे की पढ़ाई के लिये भावनगर के सामलदास कॉलेज में प्रवेश प्राप्त किया, लेकिन घर से दूर रहने के कारण वह अपना ध्यान केन्द्रित नहीं कर पाएं और अस्वस्थ होकर पोरबंदर वापस लौट गए।
4 सितम्बर 1888 को इंग्लैण्ड के लिये रवाना हुए। गांधीजी ने लंदन में लंदन वेजीटेरियन सोसायटी की सदस्यता ग्रहण की और इसके कार्यकारी सदस्य बन गये। गांधी जी लंदन वेजीटेरियन सोसाइटी के सम्मेलनों में भाग लेने लगे और पत्रिका में लेख लिखने लगे। यहां 3 सालों (1888-1891) तक रहकर अपनी बैरिस्टरी की पढ़ाई पूरी की और सन् 1891 में वापस भारत आ गए।
गांधी जी का विवाह सन् 1883 में मात्र 13 वर्ष की आयु में कस्तूरबा जी से हुआ था। लोग उन्हें प्यार से ‘बा’ कहकर पुकारते थे। कस्तूरबा गांधी जी के पिता एक धनी व्यवसायी थे । शादी से पहले तक कस्तूरबा पढ़ना-लिखना नहीं जानती थीं। गांधी जी ने उन्हें लिखना- पढ़ना सिखाया। एक आदर्श पत्नी की तरह बा ने गांधी जी का हर एक काम में साथ दिया। साल 1885 में गांधी जी की पहली संतान ने जन्म लिया, लेकिन कुछ समय बाद ही निधन हो गया था।
30 जनवरी 1948 को शाम 5 बजकर 17 मिनट पर नाथूराम गोडसे और उनके सहयोगी गोपालदास ने बिरला हाउस में गांधी जी की गोली मारकर हत्या कर दी थी। गांधी जी को तीन गोलियां मारी गयी थी, अंतिम समय उनके मुख से ‘हे राम’ शब्द निकले थे |
“बापू के प्रसिद्ध बचन “
महात्मा गणादि यानी की बापू ने पूरी दुनिया को अहिंसा और सत्य का पथ पढ़ाया था।
महत्ता गाँधी के प्रसिद्ध बचन ” खुद वो बदलाब बनिये जो आप दुनिया में देखना चाहते है “
” मेरा धर्म सत्य और अहिंसा पर आधारित है, सत्य मेरा भगवान है और अहिंसा उसे पाने का साधन “
“स्वछता को अपने आचरण में इस तरह अपना लो की वः आपकी आदत बन जाये “
” एक आदमी है, लेकिन अपने विचारों का एक उत्पाद है। वह जो सोचता है वही बन जाता है”
” मेरा जीवन मेरा सन्देश है”
” पहले वो आप पर ध्यान नहीं देंगे, फिर वो आप पर हँसेंगे, फिर वो आप से लड़ेंगे, और तब आप जीत जायेंगे “
” कर्म प्राथमिकताओं को व्यक्त करता है “
” पृथ्वी सभी मनुष्यों की ज़रुरत पूरी करने के लिए पर्याप्त संसाधन प्रदान करती है, लेकिन लालच पूरी करने के लिए नहीं “
” प्रेम दुनिया की सबसे बड़ी शक्ति है और फिर भी हम जिसकी कल्पना कर सकते हैं उसमे सबसे नम्र है “
” सत्य कभी ऐसे कारण को क्षति नहीं पहुंचाता जो उचित हो “
” एक राष्ट्र की संस्कृति उसमे रहने वाले लोगों के दिलों में और आत्मा में रहती है “
” जब मैं निराश होता हूँ, मैं याद कर लेता हूँ कि समस्त इतिहास के दौरान सत्य और प्रेम के मार्ग की ही हमेशा विजय होती है। कितने ही तानाशाह और हत्यारे हुए हैं, और कुछ समय के लिए वो अजेय लग सकते हैं, लेकिन अंत में उनका पतन होता है। इसके बारे में सोचो- हमेशा “
” जहाँ प्रेम है वहां जीवन है “
” मैं मरने के लिए तैयार हूँ, पर ऐसी कोई वज़ह नहीं है जिसके लिए मैं मारने को तैयार हूँ “
” आँख के बदले में आँख पूरे विश्व को अँधा बना देगी “
” विश्वास को हमेशा तर्क से तौलना चाहिए. जब विश्वास अँधा हो जाता है तो मर जाता है “
” जिओ और जीने दो “
मृत्यु के बाद महात्मा गाँधी जी की याद में नई दिल्ली के रजघाट में उनका स्मृति चिन्ह भी बनाया गया है।