
कैप्टन की पार्टी को मिल गया ये चुनाव चिन्ह लेकिन नहीं चूकि विपक्ष निशाना साधने से
पंजाब ( पंजाब 365 न्यूज़ ) : जैसे जैसे चुनाव नज़दीक आ रहे है सभी पार्टियां एक दूजे पर और आक्रमिक हो रही है। इस बात का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है की जैसे ही कैप्टन की पार्टी को उसका चुनाव चिन्ह मिला तो कांग्रेस के परगट सिंह उन पर आक्रमिक हो गए। आपको बता दे की आयोग ने कैप्टन की पार्टी को हॉकी स्टिक-बॉल का निशान दिया है। पूर्व मुख्यमंत्री ने पार्टी को मान्यता मिलने के बाद खुशी जताते हुए कहा है कि बस अब गोल करना बाकी है। पूर्व मुख्यमंत्री ने पंजाब कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा देने के बाद पंजाब विधानसभा चुनाव में नई राजनीतिक पार्टी पंजाब लोक कांग्रेस बनाई थी। कैप्टन अमरिंदर सिंह के चुनाव चिन्ह और परगट सिंह को लेकर सबसे पहले अकाली दल ने तंज कसा था। अकाली दल के प्रवक्ता डॉ. दलजीत चीमा ने कहा कि हॉकी के कैप्टन यानी परगट सिंह कांग्रेस में चले गए और अब कांग्रेस के कैप्टन यानी अमरिंदर सिंह को हॉकी खेलनी पड़ेगी।
अगर बात करे कैप्टन अमरिंदर सिंह की तो वो कैप्टन अमरिंदर सिंह 2 बार पंजाब के CM रह चुके हैं। चुनाव से करीब साढ़े 3 महीने पहले कांग्रेस ने उन्हें CM की कुर्सी से उतार दिया। कैप्टन ने कहा कि यह मेरा अपमान है। इसलिए उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी। इसके बाद चर्चा थी कि कैप्टन भाजपा में शामिल हो सकते हैं, लेकिन उन्होंने नई पार्टी पंजाब लोक कांग्रेस बना ली, जिसके जरिए उनका फोकस कांग्रेस को सत्ता से बाहर करने पर है।
पंजाब में 117 कुल विधानसभा सीटें हैं। इनमें से 34 सीटें आरक्षित हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में 34 आरक्षित सीटों में से 21 पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी। कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस ने 117 सीटों में से 77 पर जीत दर्ज की थी। आम आदमी पार्टी ने पहली बार 2017 में पंजाब विधानसभा चुनाव लड़ा था और मुख्य विपक्षी पार्टी बनकर उभरी थी। आप को 20 सीटों पर कामयाबी मिली थी। वहीं शिरोमणि अकाली दल को 15 सीटें ही मिली थीं।
हॉकी कैप्टन परगट सिंह और पूर्व CM कैप्टन अमरिंदर सिंह की पुरानी जंग चल रही है। अमरिंदर के CM रहते भी परगट सिंह उन पर हमले करते रहे। परगट सिंह को पंजाब कांग्रेस प्रधान नवजोत सिद्धू का करीबी माना जाता है। जब कैप्टन अमरिंदर को हटाने के लिए कांग्रेस में बगावत हुई तो उसमें भी परगट शामिल रहे। परगट ने कैप्टन के खिलाफ खुलकर मोर्चा खोला था। जिसका इनाम भी उन्हें मिला और चरणजीत चन्नी के CM बनते ही न केवल वह मंत्री बन गए, बल्कि इच्छा के अनुसार उन्हें खेल और शिक्षा जैसे अहम मंत्रालय भी मिल गए।