
आइये जाने इंडोनेशिया की रामायण के बारे में यहाँ केनकाना केचक नृत्य से दोहराई रामकथा
इंडोनेशिया (पंजाब 365 न्यूज़ ) : भारत में भगवान विष्णु के अनेक प्राचीन मंदिर हैं, लेकिन आपको ये जानकर हैरानी होगी कि विश्व की सबसे ऊंची विष्णु प्रतिमा (Largest Vishnu Statue) भारत में नहीं बल्कि एक मुस्लिम देश इंडोनेशिया (Indonesia) में है। इंडोनेशिया में भले ही सबसे ज्यादा संख्या मुस्लिमों की हो और दुनिया में मुस्लिमों की आबादी के मामले में नंबर वन देश हो, लेकिन यहां के कण-कण में हिंदुत्व बसता है।इस्लामिक देश इंडोनेशिया के 85% हिंदू आबादी वाले बाली में नए साल से पहले केनकाना पार्क में गरुड़ विष्णु केनकाना केचक नृत्य हुआ। यह नृत्य रामायण पर आधारित है। मंचन की शुरुआत वानर की आवाज से हुई। इसके बाद करीब 100 पुरुष मंच पर प्रकट हुए। वह चौकड़ी मारकर बैठ गए। वे बाली नृत्य शैली में सीता हरण के दृश्यों का मंचन करने लगे।
इंडोनेशिया की एयरलाइन का नाम भी गरुण के नाम से ही है :
इंडोनेशिया की एयरलाइन का नाम गरुड़ा एयरलाइन है। गरुड़ यानी भगवान विष्णु की सवारी। इंडोनेशिया के बाली द्वीप में केनकाना पार्क है। इसी पार्क में गरुड़ विष्णु की 122 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित है, जिसे बनाने में 26 साल लगे। अमेरिका की स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी के मुकाबले ये मूर्ति अधिक चौड़ी है। गरुड़ के पंख ही 60 मीटर के बनाए गए हैं।
24 साल में बनी है ये प्रतिमा
भगवान विष्णु की यह मूर्ति करीब 122 फुट ऊंची और 64 फुट चौड़ी है। इसका निर्माण तांबे और पीतल से किया गया है। इसे बनाने में 2-4 साल नहीं बल्कि करीब 26 साल का समय लगा है। साल 2018 में यह मूर्ति पूरी तरह बनकर तैयार हुई थी। अब इसे देखने और भगवान के दर्शन के लिए दुनियाभर से लोग आते हैं।
1994 में शुरू हुआ था मूर्ति निर्माण का कार्य
इस मूर्ति के बनने की कहानी भी बड़ी ही दिलचस्प है। कहते हैं कि साल 1979 में इंडोनेशिया में रहने वाले मूर्तिकार बप्पा न्यूमन नुआर्ता ने एक विशालकाय मूर्ति बनाने का सपना देखा था। एक ऐसी मूर्ति, जिसे आज तक दुनिया में न बनाई गई हो। एक ऐसी मूर्ति, जिसे देखने वाला बस उसे देखता ही रह जाए। आखिरकार लंबी प्लानिंग के बाद मूर्ति बनाने का काम साल 1994 में शुरू हुआ।
मुस्लिम देश में होती है हिंदू देवताओं की पूजा
इंडोनेशिया के बाली द्वीप पर भगवान विष्णु की दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति है। ये मूर्ति स्टैच्यू ऑफ गरुड़ा के नाम से प्रसिद्ध है। यह मूर्ति इतनी विशाल और इतनी ऊंचाई पर है कि आप देखकर ही हैरान हो जाएंगे। इस मूर्ति को बनवाने में अरबों रुपये खर्च हुए थे. भगवान विष्णु के इस मूर्ति का निर्माण तांबे और पीतल का इस्तेमाल किया गया है।
नए साल के आयोजन में रामलीला
इंडोनेशिया में नए साल आयोजन शुरू हो चुके हैं। इसी क्रम में यहां बाली के केनकाना पार्क में गरुड़ विष्णु केनकाना केचक नृत्य हुआ। यह नृत्य रामायण पर आधारित है। मंचन की शुरुआत वानर की आवाज से हुई। इसके बाद करीब 100 पुरुष मंच पर प्रकट हुए। वह चौकड़ी मारकर बैठ गए। वे बाली नृत्य शैली में सीता हरण के दृश्यों का मंचन करने लगे। इस नृत्य को देखने के लिए देश के साथ विदेशी श्रद्धालु और सैलानी बड़ी संख्या में पहुंचे।
इंडोनेशिया की सबसे ऊंची प्रतिमा के रूप में डिजाइन किया गया, गरुड़ विष्णु केनकाना अमृता (जीवन का अमृत) की खोज के बारे में हिंदू इतिहास (पौराणिक कथाओं से नहीं) की एक कहानी से प्रेरित था। उसके अनुसार, गरुड़ अपनी दासी माँ को मुक्त करने के लिए अमृत का उपयोग करने के अधिकार के बदले में भगवान विष्णु द्वारा सवार होने के लिए सहमत हुए।
स्मारक के लिए विचार विवाद के बिना नहीं था, और द्वीप पर धार्मिक अधिकारियों ने शिकायत की कि इसका विशाल आकार द्वीप के आध्यात्मिक संतुलन को बाधित कर सकता है, और इसकी व्यावसायिक प्रकृति अनुचित थी, लेकिन कुछ समूह इस परियोजना को स्वीकार करते हैं, क्योंकि यह होगा बंजर भूमि पर एक नया पर्यटक आकर्षण।
75 मीटर लंबी, 65 मीटर चौड़ी प्रतिमा को न्योमन नुआर्ता द्वारा डिजाइन किया गया था। यह स्मारक की कुल ऊंचाई को १२१ मीटर (३९७ फीट) तक लाने के लिए एक कुरसी के ऊपर बैठता है, जो संयुक्त राज्य अमेरिका में स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी से लगभग ३० मीटर (९८ फीट) लंबा है । पूरा स्मारक 21 मंजिला इमारत जितना लंबा है। इसका वजन 4000 टन है, जो इसे देश की सबसे भारी मूर्ति बनाता है। मूर्ति तांबे और पीतल की चादर से बनी है, जिसमें एक स्टेनलेस स्टील फ्रेम और कंकाल, साथ ही एक स्टील और कंक्रीट कोर कॉलम है। बाहरी आवरण उपाय22 000 मीटर 2 क्षेत्र में। विष्णु का मुकुट सुनहरे मोज़ाइक से ढका हुआ है और मूर्ति में एक समर्पित प्रकाश व्यवस्था है। स्मारक 31 जुलाई 2018 को बनकर तैयार हुआ और 22 सितंबर, 2018 को इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो ने इसका उद्घाटन किया।
बाली की खासियत यह है कि वहां के हर घर और रेस्तरां के बाहर केले के पत्तों से बनी प्लेट में एक दोना देवताओं के लिए फूल और एक-एक चम्मच चावल रखे जाते हैं। भगवान गणेश की प्रतिमाएं भी घरों और महत्वपूर्ण इमारतों के द्वार पर स्थापित हैं। कुल मिलाकर बाली का हर घर मंदिर की तरह है, जहां नकारात्मकता के लिए जगह नहीं है।