
भारत के इतिहास का ऐसा दिन जब सबको खून के आंसू पड़ा था रोना
ब्लैक डे ( पंजाब 365 न्यूज़ ) : आज पुलवामा अटैक को पुरे तीन वर्ष हो गए है। आज जम्मू कश्मीर में हुए पुलवामा हमले (Pulwama Attack) की तीसरी बरसी है. 14 फरवरी 2019 को जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग से करीब 2500 जवानों को लेकर 78 बसों में सीआरपीएफ (CRPF) का काफिला गुजर रहा था. …सड़क पर उस दिन भी सामान्य आवाजाही थी. सीआरपीएफ का काफिला पुलवामा पहुंचा ही था, तभी सड़क की दूसरे तरफ से आ रही एक कार ने सीआरपीएफ के काफिले के साथ चल रहे वाहन में टक्कर मार दी. जैसे ही सामने से आ रही एसयूवी जवानों के काफिले से टकराई, वैसे ही उसमें विस्फोट हो गया. इस घातक हमले में सीआरपीएफ के 40 बहादुर जवान शहीद हो गए. धमाका इतना जबरदस्त था कि कुछ देर तक सब कुछ धुआं-धुआं हो गया। जैसे ही धुआं हटा, वहां का दृश्य इतना भयावह था कि इसे देख पूरा देश रो पड़ा. उस दिन पुलवामा में जम्मू श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर जवानों के शव इधर-उधर बिखरे पड़े थे. चारों तरफ खून ही खून और जवानों के शरीर के टुकड़े दिख रहे थे. जवान अपने साथियों की तलाश में जुटे थे. सेना ने बचाव कार्य शुरू किया और घायल जांबाजों को तुरंत ही अस्पताल ले जाया गया. घटना के बाद पूरे देश में हाहाकार मच गया. कहने को ये तीन वर्ष है लेकिन उन परिवारों से कोई पूछे जिनके अपने इस आतंकवादी अटैक में चले उनके जख्म आज भी हरे है। उनके लिए तो ये कल की ही बात है। जब पूरा देश वैलेंटाइन डे मना रहा था तब हमारे वीर जवानों को निशाना बनाया गया था।
भारत आज कायरतापूर्ण आतंकी हमले की तीसरी बरसी मना रहा है और शहीद हुए वीर जवानों के बलिदान को याद करता है। आज देश की जनता और नेता शहीदों को नमन कर रहे हैं।
पुलवामा के बाद आतंकवाद के खिलाफ सुरक्षाबलों ने निर्णायक लड़ाई छेड़ दी और इसका ही असर है कि कश्मीर में आतंकवाद अब अंतिम सांसें गिन रहा है। आतंकियों के अड्डे अब तबाह हो चुके हैं। पुलवामा की साजिश में शामिल रहे आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के कश्मीर में सक्रिय टाप काडर को सुरक्षाबलों ने एक माह में ही काफी हद तक तबाह कर दिया था। एयरस्ट्राइक ने उसकी कमर तोड़ दी थी। उससे आज तक उबर नहीं पाया है और अब चेहरा छिपाना पड़ रहा है। यही वजह है कि पुलवामा के बाद आज तक कोई आतंकी हमला अंजाम नहीं दिया जा सका।
पुलवामा हमले के 12 दिन के भीतर भारत ने बदला ले भी लिया। वायुसेना ने पाकिस्तान के भीतर बालाकोट में आतंकियों के ठिकानों पर सर्जिकल स्ट्राइक की और उन्हें ध्वस्त कर दिया। इस हमले ने जैश का कैडर काफी हद तबाह हो गया और 300 के करीब आतंकी मारे गए थे। इसके बाद भी हमारे सुरक्षाबल नहीं थमे और कश्मीर में छिपे साजिश में शामिल आतंकियों का चुन-चुन पर सफाया किया गया।
आतंक के बाद निर्णायक जंग अब अंतिम पड़ाव के करीब पहुंचती दिख रही है और उनके समर्थन करने वाले अलगाववादी भी आज कश्मीर में कहीं नहीं दिखते। इतना ही नहीं अब कश्मीर की सड़कों पर आजादी के नारे नहीं देशभक्ति के तराने गूंजते दिखते हैं।
26 फरवरी की सुबह भारत ने लिया बदला : एयरस्ट्राइक के लिए भारतीय वायुसेना ने मिराज-2000 विमानों ने 25 फरवरी, 2019 की आधी रात के बाद मिराज-2000 विमान ने ग्वालियर एयरबेस से उड़ान भरी। भारत के 12 मिराज-2000 विमान 26 फरवरी तड़के तीन बजे पाकिस्तानी सीमा में दाखिल हुए और बालाकोट में जैश के आतंकी ठिकाने पर बम बरसाए। इस एयरस्ट्राइक में जैश के आतंकी शिविर को तबाह कर दिया गया।
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट कर लिखा, “तुम्हारे शौर्य के गीत, कर्कश शोर में खोये नहीं।
गर्व इतना था कि हम देर तक रोये नहीं।
राष्ट्र की सेवा करते हुए #Pulwama हमले में अपने जीवन को बलिदान कर देने वाले भारत के वीरों को प्रणाम करता हूं। आप जैसे वीर सपूतों पर देश का कण-कण युगों-युगों तक ऋणी रहेगा। जय हिन्द!”
बता दें कि वर्ष 2019 में 14 फरवरी को जम्मू- कश्मीर के अवंतीपोरा के पास गोरीपोरा में अब तक का सबसे बड़ा आतंकी हमला हुआ था। आतंकियों ने CRPF के वाहन को निशाना बनाया था और बम ब्लास्ट किया था। इस हमले में देश के अपने 40 वीर सपूतों को खो दिया था।
जब जैश ने ली थी हमले की जिम्मेदारी :
हमले के बाद सीआरपीएफ अधिकारी की ओर से इस हमले के बारे में जानकारी दी गई. उन्होंने उस समय बताया था कि काफिले में करीब 70 बसें थीं और इसमें से एक बस हमले की चपेट में आ गई. काफिला जम्मू से श्रीनगर की तरफ जा रहा था. चौंकाने वाली बात यह थी कि आतंकी संगठन जैश ने टेक्स्ट मैसेज भेज कर हमले की जिम्मेदारी ली गई थी. जैश ने यह मैसेज कश्मीर की न्यूज एजेंसी जीएनएस को भेजा था । पुलवामा के अवंतिपोरा से जब सीआरपीएफ जवानों को लेकर बस गुजर रही थी ठीक उसी समय एक कार बस से जा टकराई थी. यह कार पहले से ही हाइवे पर खड़ी थी. जैसे ही बस यहां पर पहुंची जोरदार धमाका हुआ. जिस जगह पर हमला हुआ था वहां से श्रीनगर की दूरी बस करीब 33 किलोमीटर थी और काफिले को पहुंचने में बस घंटे का ही समय बचा था. धमाका इतना जोरदार था कि जवानों के शरीर के चिथड़े तक उड़ गए थे. इस हमले को जैश की ओर से लिया गया बदला माना गया था. हमले से दो दिन पहले पुलवामा के ही रात्नीपोरा इलाके में हुए एनकाउंटर में सुरक्षाबलों ने जैश के एक आतंकी को ढेर कर दिया था.
ये दिन भारत के इतिहास में ब्लैक डे के नाम से जाना जाता है क्योकि इस दिन देश के वीर जवानो के साथ ही कई घरों के चिराग भी बुझ गए थे जो कभी वापिस नहीं आ सकते। उन माँ , बहनों ,नवविवाहितों ,बच्चों से कोई जाकर उनका कोई दुःख पूछे तो किसी के भी आंसू छलक जाये।
हम नमन करते हैं ऐसे वीर जवानों को जो देश के ऊपर कुर्बान हो गए।