
जानिए क्या है आरपीजी जिसका उपयोग पहले हुआ नहीं कभी,लेकिन इसके धमाके से दहल उठा मोहाली
मोहाली ( पंजाब 365 न्यूज़ ) : देश में आये दिन आतंकी घटनाएं बढ़ती जा रही है। जिस पर अगर तुरंत लगाम नहीं लगयी जाएगी तो आगे जाकर यही घटनाएं देश के लिए खतरा साबित होंगी। आये दिन जम्मू कश्मीर में होने वाली घटनाये अब पंजाब में भी अपने पैर पसारने लगी है। बात करे मोहाली की तो पंजाब पुलिस के खुफिया विभाग के मुख्यालय (Intelligence Office) पर हुए हमले के तार जम्मू-कश्मीर से भी जुड़ सकते है। विस्फोट के लिए राकेट प्रोपेल्ड ग्रेनेड (आरपीजी) का इस्तेमाल किया गया। आरपीजी का प्रयोग जम्मू-कश्मीर के आतंकी करते हैं या आम तौर पर पाकिस्तान या अफगानिस्तान में इसका प्रयोग किया जाता है।जानकार बताते हैं कि पंजाब में तो आतंकवाद के दौर में भी आरपीजी का इस्तेमान नहीं किया जाता था। पुलिस की जांच इस दिशा में भी जा रही है कि आरपीजी को दूसरे राज्य या जम्मू-कश्मीर से मंगवाया गया होगा और इसे चलाने वाला स्थानीय अपराधी हो सकता है। उसे बाकायदा ट्रेfनिंग दी गई हो, क्योंकि आरपीजी चलाने वाले का निशाना भले कुछ इंच से चूक गया हो लेकिन 80 से 90 फीट की दूरी से जिस प्रकार से कमरा नंबर 41 को निशाना बनाया गया है उस तरह निशाना लगाने वाला कोई पहली या दूसरी बार ऐसा काम करने वाला अपराधी नहीं हो सकता है।
इतनी क्षमता है आरपीजी में :
पंजाब पुलिस के खुफिया विभाग के मोहाली स्थित मुख्यालय को जिस हथियार से निशाना बनाया गया, वह एक मीटर मोटी कंक्रीट की दीवार भेद सकता है। इसके अलावा यह 400 मिलीमीटर (एमएम) मोटी स्टील की परत को भी काट सकता है। आरपीजी यानी राकेट प्रोपेल्ड ग्रेनेड वास्तव में एक राकेट चलित ग्रेनेड है, जिससे ग्रेनेड को 700 मीटर दूर तक फेंका जा सकता है। इसे कंधे पर रखकर राकेट लांचर से दागा जाता है। यह टैंक-रोधी हथियार प्रणाली है। मोहाली हमले में इस्तेमाल हथियार आरपीजी-22 श्रेणी का है, जिसे ‘नेटो’ भी कहा जाता है।
सोची समझी चाल से हुआ है ये काम :
अगर हम किसी को कहे की तीसरी मंजिल पर निशाना लगाना है तो कोई भी नौसिखिया आसानी से निशाना नई लगा सकता वहाँ तो कोई अच्छी तैयारी के साथ ह वो काम के सकता है। तीसरी मंजिल पर स्थित कमरा नंबर 41 ही था जहां पर लाइट जल रही थी और उसके पास सड़क पर स्ट्रीट लाइट की रोशनी नहीं पहुंच रही थी। पुलिस सूत्रों के अनुसार 90 फीट की दूरी से तीसरी मंजिल पर निशाना साधना किसी नौसिखिया के लिए आसान नहीं हो सकता है।